Thursday, 3 January 2019

कैसे लीक हुए थे पनामा पेपर्स? बहुत ही फिल्मी है कहानी

(2015 में पानामा पेपर्स लीक हुए तो दुनिया भर में हंगामा हुआ. भारत के कई नेताओं और नमाचीन शख्‍सियतों समेत दुनिया भर की ताकतवर हस्तियों का नाम आया. भारत को छोड़ कई देशों में भ्रष्‍टाचार के आरोपियों पर मुकद्मा चला, सज़ा हुई. पनामा पेपर्स एक कारोड़ से ज्‍यादा दस्‍तावेजों का ज़खीरा था, जिनमें 2 लाख से ज्‍यादा कंपनियों के काले कारनामों की जानकारी थी. इन पेपर्स के लीक होने की कहानी भी बड़ी फिल्‍मी थी, कैसे लीक हुए थे पनामा पेपर्स, पढ़ि‍ए अमर उजाला के लिखा गया मेरा चार साल पुराना आलेख.)




टैक्स हैवन के रूप में मशहूर पनामा की फर्म मोजाक फोंसेका के करोड़ों दस्तावेजों से बाहर आई जानकारियों ने कई मुल्कों की सरकारों को हिला दिया है। भारत ने दस्तावेजों की जांच के लिए विशेष टीम गठित की है, जबकि रूस ने रिपोर्टों को 'पुतिन फोबिया' बताकर खारिज कर दिया। ब्रिटिश सरकार ने मोजाक फोंसेका के दस्तावेजों पर चुप्पी साध ली है।

पिछले साल विकीलिक्स ने काले धन पर सनसनीखेज खुलासे किए थे, मोजाक फोंसेका की दस्तावेजों से बाहर आई जानकारियों उनसे जरा भी कम नहीं। सवाल उठ रहा है कि मोजाक फोसेंका के दस्तावेज लीक कैसे हुए? टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मोजाक फोंसेका की जानकारियों का संशय से देख रहे जानकारों का मानना है कि ये अमेरिका खुफिया एजेंसी सीआईए की साजिश भी हो सकती है। उनका कहना है‌ कि पनामा पेपर्स में एक भी अमेरिकी का नाम नहीं है। उनका दावा है कि नाटो और संयुक्त राष्ट में भी भ्रष्टाचार कम नहीं है, जबकि वे पनामा पेपर्स के दायरे से बाहर हैं।

दस्तावेजों की लगभग आठ महीने तक पड़ताल करने वाले खोजी पत्रकारों के संगठन इंटरनेशनल कंजॉर्टियम ऑफ इन्‍वेस्टिगे‌‌टिव जर्नलिस्ट के मुताबिक मोजाक फोंसेका द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़ों का पहला सुराग 2014 के आखिरी महिनों में सामने आया। एक गुमनाम शख्स जर्मनी के एक समाचार पत्र 'ज़ूटडॉयच ट्सायटूंग' के दफ्तर पहुंचा। दक्षिण जर्मनी का ये अखबार मोजाक फोंसेका से लीक हुई एक जानकारी पहले ही प्रकाशित कर चुका था।

गुमनाम शख्स ने इनक्रिप्टेड चैट के जरिए संपर्क किया
उस सूत्र ने 'ज़ूटडॉयच ट्सायटूंग' के रिपोर्टर बैस्टियन ओबरमेवेय से एक कूट भाषा में इनक्रिप्टेड चैट के जरिए संपर्क किया। उसने बताया कि उसके पास कुछ दस्तावेज हैं जिन्हें वो देना चाहता है, ताकि इन 'अपराधों' को सार्वजनिक किया जा सके। उसने ये भी कहा कि उसकी जान खतरे में है। उसकी चैट से ये पता नहीं चला कि वो महिला थी या पुरुष। उसने मिलने से भी मना कर दिया।

ओबरमेवेय ने उसकी चैट के जवाब में पूछा कि उसके पास कितना डाटा है? उधर से जवाब आया, 'इतना डाटा जितना आपने पहले देखा भी नहीं होगा।' बातचीत के बाद उसने जो डाटा दिया वे 2.6 टेराबाइट था। विकीलिक्स केबलगेट की डाटा से 100 गुना ज्यादा। डाटा 600 डीवीडी में समाने भर था। ओबरमेवेय ने बताया कि उन्होंने उस शख्स के साथ कई इनक्रिप्टेड चैनल्स से चैट की। वह बातचीत के चैनल लगातार बदलता रहा और हर बार पुराने चैनल से हुई बातचीत की हिस्ट्री डिलीट कर देता।

'ज़ूटडॉयच ट्सायटूंग' में छपी अपनी रिपोर्ट में ओबरमेवेय ने बताया कि उसने अपनी जानकारियों बदले न किसी तरह की आर्थिक मदद मांगी और न ही और कुछ मांगा। उसने केवल चंद सुरक्षा पहलुओं को ध्यान में रखने का आग्रह किया। ओबरमेवेय ने बताया कि वो उस शख्‍स को नहीं जानते, ये भी नहीं जानते वो महिला था या पुरुष। वह किस देश का था। हालांकि वे उसे अच्छी तरह से समझने जरूर लगे थे। कुछ समय तक तो उन्होंने उससे अपनी पत्नी से भी ज्यादा बात की। `



आठ महीने तक हुई दस्तावेजों की पड़ताल 
उल्लेखनीय है कि ज़ूटडॉयच ट्सायटूंग' ने वो डाटा बाद में खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल कंजॉर्टियम ऑफ इन्‍वेस्टिगे‌‌टिव जर्नलिस्ट से साझा किया। 78 देशों में फैले संगठन के 107 मीडिया संस्थानों के 350 पत्रकारों ने आठ महीने की पड़ताल के बाद सोमवार को दुनिया भर के शीर्ष नेताओं, उद्योगपतियों, अभिनेताओं और  खिलाड़ियों के गोपनीय वित्तीय सौदों का खुलासा कर सनसनी फैला दी।

पनामा पेपर्स के नाम से सामने आए इन वित्तीय सौदों से जाहिर होता है कि भारत समेत दुनिया की कई दिग्गज हस्तियों ने टैक्स चोरी के लिए टैक्स हैवन देश पनामा में कंपनी खुलवाई और गैरकानूनी वित्तीय लेन-देन को अंजाम दिया।

पनामा पेपर्स से जिन लोगों के नाम सामने आए हैं उनमें रूसी राष्ट्रपति पुतिन के नजदीकी लोग, पाक पीएम शरीफ की तीन संतानें, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रिश्तेदार, दिग्गज भारतीय रियल्टी कंपनी डीएलएफ के मालिक केपी सिंह, अमिताभ बच्चन, उनकी बहू ऐश्वर्या राय और कुछ राजनीतिक नेता शामिल हैं। इस मामले में दुनिया की कुल 140 दिग्गज हस्तियों और 500 भारतीयों के नाम शामिल हैं। जिन दस्तावेजों की जांच की गई है, वे 1977 से 2015 तक के हैं।

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